वाराणसी की Gyanvapi Masjid ASI पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने अपनी रिपोर्ट में कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इस सर्वेक्षण के दौरान परिसर के पश्चिमी दीवार क्षेत्र में मलबे से देवताओं की मूर्तियों सहित कई टेराकोटा वस्तुएं मिलीं हैं। रिपोर्ट में इसका विस्तार से वर्णन किया गया है।
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Gyanvapi Masjid ASI रिपोर्ट के अनुसार
ASI की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमी दीवार क्षेत्र में मलबे से निकली टेराकोटा वस्तुएं में देवताओं की मूर्तियां, हनुमान और गणेश की खंडित आकृतियां शामिल हैं। Gyanvapi Masjid ASI रिपोर्ट में इसका विवेचन बड़े ध्यान से किया गया है और बताया गया है कि इन मूर्तियों में शिव लिंग, विष्णु, कृष्ण, हनुमान, गणेश आदि शामिल हो सकते हैं।
ASI ने रिपोर्ट में इसे और भी दुगना महत्वपूर्ण बनाते हुए कहा है कि सर्वेक्षण के दौरान दो कांच की वस्तुएं – एक पेंडेंट और एक टूटा हुआ शिव लिंग भी पाया गया था। इसके अलावा, सर्वेक्षण में परिसर से विभिन्न कालखंडों के सिक्के भी प्राप्त हुए हैं।
संरचना का इतिहास
रिपोर्ट ने यह भी बताया है कि 17 वीं शताब्दी में पहले से मौजूद संरचना को नष्ट कर दिया गया था, और इसे “संशोधित और पुन: उपयोग किया गया था।” इसका मतलब है कि मस्जिद का परिसर पूर्व में एक बड़ा हिंदू मंदिर हो सकता है, जिसे बाद में मस्जिद में रूपांतरित किया गया।
इतिहास और स्थान:
Gyanvapi Masjid ASI उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित है और इसे “ग्यानवापी” के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ होता है “ज्ञान का भंडार”। इसे मुघल सम्राट और शाहजहाँ के पुत्र और उत्तर प्रदेश के गवर्नर, आली गरीब पाशा ने 17वीं सदी में बनवाया था। मस्जिद का निर्माण स्थल विश्वविद्यालय के पुराने कैम्पस के पास है, जो इसे अद्वितीय बनाता है।
प्रतिक्रिया और आगे की कदम
इस रिपोर्ट के बाद, दोनों पक्षों ने अपनी दृष्टि रखी है। मध्य प्रदेश के मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने यह कहा है कि एएसआई एक प्रतिष्ठित संगठन है और उसके निष्कर्षों को स्वीकार किया जाएगा। इसके अलावा, इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के चेयरपर्सन मौलाना खालिद रशीद ने कहा है कि पहले रिपोर्ट का अध्ययन करने की जरूरत है और फिर ही कोई टिप्पणी कर सकता है।
समाप्ति
इस प्रकार, Gyanvapi Masjid ASI के सर्वेक्षण से निकली रिपोर्ट ने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं को बड़े रूप से प्रकट किया है। इससे आने वाले समय में इस मस्जिद के विषय में और भी गहराईयों में जानकारी मिल सकती है और यह सिद्ध हो सकता है कि इसे एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल के रूप में पुनर्निर्माण किया जाए।
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