इस दिग्गज दानी यात्रा में, Dilip Kumar V. Lakhi ने 101 किलोग्राम सोना देकर अपने समर्पण की अनूठी भावना को प्रकट किया है। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का इतिहास एक नए युग की शुरुआत का प्रतीत हो रहा है, जिसमें भक्ति और समर्पण का अद्वितीय संगम हो रहा है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समय आजीवन अपेक्षित था, और यह सपना अब साकार हो रहा है। उनका यह दान मंदिर निर्माण के लिए एक नये पुनर्निर्माण की भाषा है, जो सामूहिक उत्थान और समर्थन का प्रतीक है।
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Dilip Kumar V. Lakhi बने सबसे बड़े दानवीर
अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में एक बेहद खास और अद्वितीय पल का स्वागत किया, जब वे राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की सम्मिलित करने पहुंचे। प्रधानमंत्री ने प्राण-प्रतिष्ठा के महत्वपूर्ण क्षणों के बाद यहां से उठकर कहा कि उस समय के कालखंड में सिर्फ 14 साल का ही वियोग था, जबकि इस युग में अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ों वर्षों तक का वियोग सहा है।
राम मंदिर के लिए लोगों ने दान दिया था, लेकिन सूरत के एक अनूठे हीरा व्यापारी परिवार Dilip Kumar V. Lakhi ने यहां के भव्य राम मंदिर को एक नए पहलू से चमकाया है, जिसने वहां 101 किलो सोना दान किया है। इस मंदिर में भूतल पर स्थित गर्भगृह के साथ-साथ कुल 15 स्वर्ण द्वार स्थापित किए गए हैं, जिससे यह एक अनूठा स्वर्णिम क्षण बन गया है। राम मंदिर को अब तक 5,500 करोड़ रुपये से अधिक का दान प्राप्त हुआ है, जो इस महत्वपूर्ण भव्य निर्माण को संजीवनी बूटी से मिला है।
कौन हैं Dilip Kumar V. Lakhi?
Dilip Kumar V. Lakhi और उनके परिवार का सूरत में एक अनूठा संबंध है, जो उन्हें सोने के व्यापार में सबसे प्रमुख हीरे के व्यापारियों में एक बना देता है। उनका परिवार व्यापक वक्त से डायमंड के क्षेत्र में सफलता की ऊँचाइयों को छू रहा है। लाखी परिवार ने हाल ही में मंदिर के लिए 101 किलोग्राम सोने का आदान-प्रदान किया है, जिसने राम मंदिर को एक नया और शानदार रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इस सोने का उपयोग मंदिर के दरवाजे, गर्भगृह, त्रिशूल, डमरू और स्तंभों को सजाने में किया गया है, जिससे मंदिर को अद्वितीयता और श्रृंगार की अद्वितीयता मिली है। इस अनूठे योगदान से लाखी परिवार ने राम मंदिर को सबसे बड़ा दान दिया है, जो समृद्धि, सौंदर्य, और धार्मिकता की शिखर प्राप्ति की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
विभाजन से पहले आए थे जयपुर
Dilip Kumar V. Lakhi , इन्हें दिलीप ‘आभास’ के नाम से भी जाना जाता है, वह एक अनोखे व्यवसायी हैं जिनका जुड़ाव उनके अनूठे कुंजीका बिजनेस से हो रहा है। 1944 में जन्मे, उनके परिवार ने भारत-पाक विभाजन से पहले ही जयपुर में ठहराव किया था। बचपन से ही दिलीपकुमार ने एक अलग पहचान बनाने का निर्णय लिया और 13 साल की आयु में ही व्यापारिक दुनिया में कदम रखा।
जब उनके पिताजी ने उन्हें मुंबई के जवेरी बाजार में एक केंद्र स्थापित करने का आदान-प्रदान किया, तो उन्होंने इस अद्वितीय क्षेत्र में अपनी कदमों की मजबूती से पूर्णता की ओर बढ़ा। Dilip Kumar V. Lakhi ने न केवल अपने परिवार के व्यवसाय को माजबूती से निर्माण किया, बल्कि उन्होंने भी विशेषज्ञता और सोच में नए आयाम दिखाए। उनकी हीरा पॉलिशिंग फैक्ट्री में विदेशी तकनीक का सुखद प्रयोग और 6,000 से अधिक कर्मचारियों को रोजगार प्रदान करने के माध्यम से, उन्होंने एक नए सोच के साथ नए उच्चाईयों को छूने का साहस किया है। आज, उनका नाम व्यापारिक उद्यमी और समृद्धि के प्रती अपने सतत प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है।
ग्राहकों की पसंद पर फोकस
Dilip Kumar V. Lakhi ने अपनी तरक्की को उच्चतम नीतियों और ग्राहक समर्पण के माध्यम से मना जाता है, जिससे वे अपने उपभोक्ताओं के साथ गहरा जुड़ाव बना रखते हैं। ग्राहकों की बदलती जरूरतों को समझते हुए, कंपनी ने नए-नए उत्पादों और सेवाओं का आयोजन किया है, जो उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करता है। लाखी परिवार ने कंपनी को संचालित करने के लिए समर्थन प्रदान करते हुए, मोतीराम, प्रकाश, और दीपक – तीनों भाइयों को विभिन्न क्षेत्रों में कंपनी के कार्यों का प्रबंधन करने का मार्गदर्शन किया है।
इसके अलावा, गुजरात के प्रसिद्ध रामकथाकार मोरारी बापू के अनुयायियों ने एक उदार दिल से 16.3 करोड़ रुपये का दान देकर अपनी समाज सेवा की भावना को प्रकट किया है। इसके साथ ही, गुजरात के हीरा कारोबारी गोविंदभाई ढोलकिया ने भी 11 करोड़ रुपये के दान के माध्यम से अपनी सामाजिक दायित्व को निभाया है। ढोलकिया डायमंड कंपनी, श्री राम कृष्णा एक्सपोर्ट्स के मालिक, ने इस यात्रा में अपनी उद्यमिता और सामाजिक संबंध का सत्कार किया है।
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